गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
उदास उल्लू ... / बरीस सदअवस्कोय / अनिल जनविजय
19 bytes removed
,
21:15, 10 मार्च 2019
ठण्डी छाती को फाड़कर निकलते हैं,
शाम को विफल हो बिखरते हैं,
जब उल्लू चीख़
-चिल्ला
रहा होता है।
1906
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,699
edits