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{{KKRachna
|रचनाकार=स्तेफान स्पेन्डर
|अनुवादक=अनिल एकलव्य
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'''मैं हमेशा उनके बारे में सोचता हूँ जो सच में महान थे'''
मैं हमेशा उनके बारे में सोचता हूँ जो सच में महान थे।थे ।जिन्होंने, गर्भ से, आत्मा के इतिहास को याद किया
रोशनी के गलियारों से होते हुए जहाँ समय के सूरज होते हैं
अंतहीन अन्तहीन और गाते हुए, जिनकी खूबसूरत महत्वाकांक्षाख़ूबसूरत महत्वाकाँक्षा
थी कि उनके होंठ, अब भी आग की तपन से लैस,
सिर से पैर तक गीत पहने उस जीवट की बात कहें
और जिन्होंने बसंत बसन्त की शाखों से जमा कर लींचाहतें जो उसके शरीर पर फैली थीं मंजरियों मँजरियों जैसे
बेशकीमती बेशक़ीमती है कभी न भूलनाअमर बसंत बसन्त के रक्त से लिया गया आह्लाद का सार
हमारी पृथ्वी के पहले की दुनियाओं से चट्टानें तोड़ कर आते हुए,
कभी ना नकारना सुबह के सहज प्रकाश में इसके आनंद आनन्द कोना ही इसकी शाम की प्रेम की गंभीर मांग को।गम्भीर माँग को ।
यातायात को कभी आहिस्ता से ना घोंटने देना
शोर से और धुंध धुन्ध से इस जीवट का पनपना।पनपना ।
बर्फ़ के पास, सूरज के पास, सबसे ऊंचे ऊँचे मैदानों में
देखो कैसे इन नामों का सम्मान हो रहा है लहराती घास द्वारा
और सफ़ेद बादलों की नावों के द्वारा
जिन्होंने अपने दिल मे रखा आग के मरकज़ को,
सूरज से जन्मे वे कुछ समय सूरज की तरफ ही चल पड़े,
और चंचल चँचल हवा पर अपने मान के हस्ताक्षर छोड़ गए।गए ।
'''मूल अंग्रेज़ी अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल एकलव्य'''
<poem>
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