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|रचनाकार=हबीब जालिब|अनुवादक=|संग्रह=
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हुजूम देख के रस्ता नहीं बदलते हम किसी के डर से तकाज़ा तक़ाज़ा नहीं बदलते हम
हज़ार ज़ेर-ए-क़दम रास्ता हो ख़ारों का जो चल पड़े पड़ें तो इरादा नहीं बदलते हैं हम
इसीलिए तो मोतबर नहीं मो'तबर ज़माने में के रंगकि रँग-ए-सूरत-ए-दुनिया नहीं बदलते हैं हम
हवा को देख के 'जालिब' मिसाल-ए-हम-असरांअस्राँ
बजा ये ज़ोम हमारा नहीं बदलते हम
</poem>