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सुन लो मुखिया अब उधार का उजियारा मंज़ूर नहीं / हरेराम समीप
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03:47, 9 दिसम्बर 2023
बाँटे जाने की अब कोशिश दोबारा मंजूर नहीं
जैसा भी हूँ मैं हूँ पूरे जीवन की
सामथ्र्य
सामर्थ्य
लिए
ये गलीज़ सम्बोधन मुझको ‘बेचारा’ मंजूर नहीं
डा० जगदीश व्योम
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