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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार== कुमार सुरेश|संग्रह== छठे तत्व के कारण }}{{KKCatKavita}}<poemPoem
एक दिन सब कुछ बदल जायेगा
लोग दिखाई देते है हैं वे सभी
समुद्र आसमान धरती
सारा आँख भर परिदृश्य
नदियाँ भाप बन जाएँगी
जमीं आग
आसमान कला काला रंग जायेगा हम बदल जायेंगे जाएंगे
मूल तत्वों मैं
प्रेम बदल जायेगा जाएगा
चुम्बक या ब्लैक होल में
लेकिन यह तय है
किसी न किसी रूप में
बाकि बाक़ी रहेगे पानी धरती आकाश हवा आग
और प्रेम
कुछ भी कभी नष्ट नहीं होता
सृजित कर लेगा नयी सृष्टि
इस छठे तत्व के कारण
सब कुछ पहले -सा हो जायेगा एक दिन    </poem>== ==
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