Last modified on 26 मार्च 2010, at 06:21

साँस लेते हुए भी डरता हूँ / अकबर इलाहाबादी

साँस लेते हुए भी डरता हूँ
ये न समझें कि आह करता हूँ

बहर-ए-हस्ती<ref>जीवन सागर</ref> में हूँ मिसाल-ए-हुबाब<ref>बुलबुला</ref>
मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ

इतनी आज़ादी भी ग़नीमत<ref>शुक्र</ref> है
साँस लेता हूँ बात करता हूँ

शेख़ साहब खुदा से डरते हो
मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ

आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज
शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ

ये बड़ा ऐब मुझ में है 'अकबर'
दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ

शब्दार्थ
<references/>