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मेरी तरह / नंदकिशोर आचार्य
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08:52, 26 नवम्बर 2011
सूखी धरती के
बहती रहती है जलधार
सदा बसा रहता है
अपनी स्मृतियों में
आकाश के कानों में
गूंजा
गूँजा
ही करती सब समय
सन्नाटों की पुकार
अनिल जनविजय
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