Changes

लोचन चपल कटाच्छ सर / कृपाराम

8 bytes added, 10:58, 4 अक्टूबर 2012
|रचनाकार=कृपाराम
}}
[[Category:पददोहे]]
<poeM>
लोचन चपल कटाच्छ सर, अनियारे विषपूरि.
मन मृग बेधें मुनिन के,जगजन सहत बिसूरि.
 
आजु सवारे हौं गई,नंदलाल हित ताल.
कुमुद कुमुदनी के भटू निरखे औरे हाल.
 
पति आयो परदेस तें,ऋतु बसंत को मानि.
झमकि झमकि निज महल में,टहलैं करै सुरानि.
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,176
edits