[[KAAMYABI]]{{KKRachnakaarParichayrone se kisi ki takdeer nahi banti|रचनाकार=मुनव्वर रानाwakt se pahle raat bhi nahi dhalti}}dusro ki kaamyabi lagti hai aasan<poem>magar ki kaamyabi sadak par padi nahi milti#भारत के सबसे लोकप्रिय और प्रशंसित कवियों में से एक हैं, जिनकी आवाज़ अद्वितीय है। har shikasht se jo tutkar sambhal gaya #वह दोनों हिंदी और उर्दू में लिखते हैं और भारत और विदेशों में मुशायरा मंडलों में एक प्रमुख नाम है। fir kaun se gida baat ahi banti#उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता संग्रह 'माँ' थी जिसे ग़ज़ल की शैली में लिखा गया था। haath baandhkar baithne se pahle soch aye insaan#उन्हें हाल ही में अपनी कविता पुस्तक "शाहदाबा" के लिए प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। apne aap koi zindagi nahi sawarti #अमीर खुसरो पुरस्कार, rone se kisi ki takdeer nahi banti#मीर ताकी मीर पुरस्कार, wakt se pahle raat bhi nahi dhalti.#गालिब पुरस्कार, #डा जाकिर हुसैन अवॉर्ड और #सरस्वती समाज पुरस्कार '''प्रकाशन:''' #राणा की कविता को भी हिन्दी, उर्दू, गुरूमुखी और बांग्ला में अनुवाद और प्रकाशित किया गया है।</poem>