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"अधर्मी / ज्योति रीता" के अवतरणों में अंतर

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19:54, 16 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण

कोई धर्म
ना कोई जात
ना मैं किसी के अनुयायी

मस्त आवारा हवा का झोंका
खुली खिड़की दरवाजे से
कहीं भी आऊं-जाऊँ
बंद किवाड़ नहीं भाते मुझे
जरा-सी भी पाक मेरा प्रवेश द्वार

सुकून ही देता है
दम घुटते हुए को प्राण
कर लो बंद खिड़की किवाड़
रहने देना बस थोड़ी-सी फांक॥