भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मन- त्रिंजण / हरदीप कौर सन्धु" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरदीप कौर सन्धु |संग्रह= }} Category:हाइ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
| पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
[[Category:हाइकु]] | [[Category:हाइकु]] | ||
<poem> | <poem> | ||
| − | + | 21 | |
| + | मन- त्रिंजण | ||
| + | लो तेरी याद आई | ||
| + | हँसी तन्हाई | ||
| + | 22 | ||
| + | तिरती रही | ||
| + | बैठ यादों की नाव | ||
| + | तुम्हारे संग | ||
| + | 23 | ||
| + | यादें झूमर | ||
| + | नाचे सजाके माथे | ||
| + | मन- मयूर | ||
| + | 24 | ||
| + | कुछ पिघला | ||
| + | जाग गईं सुधियाँ | ||
| + | आँखें सजल | ||
| + | 25 | ||
| + | मन पहुँचा- | ||
| + | यादों के पंख लगा | ||
| + | गाँव -आँगन | ||
| + | 26 | ||
| + | पाखी हैं यादें | ||
| + | मन खुला आसमाँ | ||
| + | उड़ी ये कहाँ | ||
| + | 27 | ||
| + | खुशबू बन | ||
| + | महके है बिटिया | ||
| + | घर- आँगन | ||
| + | 28 | ||
| + | बिटिया होती | ||
| + | फूल- पँखुरियों पे | ||
| + | ओस के मोती | ||
| + | 29 | ||
| + | नन्ही -सी परी | ||
| + | वो घुँघरू की मीठी | ||
| + | रुनझुन- सी | ||
| + | 30 | ||
| + | माँ के आँगन | ||
| + | फूलों जैसी बिटिया | ||
| + | दिव्य सर्जना | ||
</poem> | </poem> | ||
22:32, 27 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण
21
मन- त्रिंजण
लो तेरी याद आई
हँसी तन्हाई
22
तिरती रही
बैठ यादों की नाव
तुम्हारे संग
23
यादें झूमर
नाचे सजाके माथे
मन- मयूर
24
कुछ पिघला
जाग गईं सुधियाँ
आँखें सजल
25
मन पहुँचा-
यादों के पंख लगा
गाँव -आँगन
26
पाखी हैं यादें
मन खुला आसमाँ
उड़ी ये कहाँ
27
खुशबू बन
महके है बिटिया
घर- आँगन
28
बिटिया होती
फूल- पँखुरियों पे
ओस के मोती
29
नन्ही -सी परी
वो घुँघरू की मीठी
रुनझुन- सी
30
माँ के आँगन
फूलों जैसी बिटिया
दिव्य सर्जना

