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"अश्रु और मुस्कान / हरदीप कौर सन्धु" के अवतरणों में अंतर
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| + | दु:ख सब कहतीं । | ||
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| + | मीठी निंदिया आए | ||
| + | यादों में सुने | ||
| + | लोरियाँ माँ का मन | ||
| + | दिखता बचपन । | ||
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| + | श्वेत व श्याम | ||
| + | दो रंग दिन–रात | ||
| + | अश्रु और मुस्कान, | ||
| + | साथ–दोनों का | ||
| + | यहाँ पल–पल का | ||
| + | खेलें एक आँगन । | ||
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| + | तेरी अँखियाँ | ||
| + | ज्यों ही रुकीं आकर | ||
| + | मन–दहलीज पे, | ||
| + | हुआ उजाला | ||
| + | जगमगाए दीए | ||
| + | मेरे मन–आँगन । | ||
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23:50, 27 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण
1
दोनों नदियाँ
वादियों में पहुँची
बनती एक धारा
अश्रु बहते
छलकी ज्यों अँखियाँ
दु:ख सब कहतीं ।
2
पालने मुन्नी
माँ लोरियाँ सुनाए
मीठी निंदिया आए
यादों में सुने
लोरियाँ माँ का मन
दिखता बचपन ।
3
श्वेत व श्याम
दो रंग दिन–रात
अश्रु और मुस्कान,
साथ–दोनों का
यहाँ पल–पल का
खेलें एक आँगन ।
4
तेरी अँखियाँ
ज्यों ही रुकीं आकर
मन–दहलीज पे,
हुआ उजाला
जगमगाए दीए
मेरे मन–आँगन ।

