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सदस्य:Dr. Manoj Srivastav
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|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
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<poem>
'''
सवाल
'''
अंतहीन वाकशून्यता के
उनकी बेजुबान लाशें
हमारी गोद में पटक देता है.
<poem>
वीरबाला
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