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|रचनाकार=शिरीष कुमार मौर्य
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अपने शहर में
 
जब मैं कुछ बोलता था
 
तो उसका
 
जवाब आता था
 
 
 
अब मैं बोलता रहता हूँ
 
अकेला ही
 
 
 
किसी काम नहीं आता
 
मेरा बोलना
 
 
 
यह बताने के भी नहीं
 
कि मैं
 
अपने शहर में हूँ !
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