गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अपने शहर में / शिरीष कुमार मौर्य
2 bytes removed
,
19:37, 3 जुलाई 2009
|रचनाकार=शिरीष कुमार मौर्य
}}
<poem>
अपने शहर में
जब मैं कुछ बोलता था
तो उसका
जवाब आता था
अब मैं बोलता रहता हूँ
अकेला ही
किसी काम नहीं आता
मेरा बोलना
यह बताने के भी नहीं
कि मैं
अपने शहर में हूँ !
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,725
edits