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"जीवन का यह चलन / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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| + | पायल बजे छनन-छनन मेरे देश में। | ||
| − | + | शहनाइयाँ कहीं बज रहीं, | |
| − | + | ड़ोलियाँ कहीं सज रहीं, | |
| − | शहनाइयाँ कहीं बज रहीं, | + | कंगना करें खनन-खनन मेरे देश में… |
| − | ड़ोलियाँ कहीं सज रहीं, | + | पवन चले सनन-सनन मेरे देश में। |
| − | कंगना करें खनन-खनन मेरे देश में… | + | |
| − | पवन चले सनन-सनन मेरे देश में। | + | बगिया कहीं महक रही, |
| − | बगिया कहीं महक रही, | + | कहीं तितलियाँ बहक रहीं, |
| − | कहीं तितलियाँ बहक रहीं, | + | भौरे फिरैं चमन-चमन मेरे देश में.. |
| − | भौरे फिरैं चमन-चमन मेरे देश में.. | + | पवन चले सनन-सनन मेरे देश में। |
| − | पवन चले सनन-सनन मेरे देश में। | + | |
| − | कहीं बदलियाँ बरस रहीं, | + | कहीं बदलियाँ बरस रहीं, |
| − | कहीं सजनियाँ तरस रहीं, | + | कहीं सजनियाँ तरस रहीं, |
| − | आँसू गिरैं घनन-घनन मेरे देश में… | + | आँसू गिरैं घनन-घनन मेरे देश में… |
| − | पवन चले सनन-सनन मेरे देश में। | + | पवन चले सनन-सनन मेरे देश में। |
| − | हिमगिरि कहीं विराट है, | + | |
| − | सागर कहीं विशाल है, | + | हिमगिरि कहीं विराट है, |
| − | नदियाँ बहैं मगन-मगन मेरे देश में, | + | सागर कहीं विशाल है, |
| − | पवन चले सनन-सनन मेरे देश में। | + | नदियाँ बहैं मगन-मगन मेरे देश में, |
| − | कहीं योगी तप में लीन है, | + | पवन चले सनन-सनन मेरे देश में। |
| − | कहीं भोगी रस-विलीन है, | + | |
| − | जीवन का यह चलन-चलन है मेरे देश में.. | + | कहीं योगी तप में लीन है, |
| − | पवन चले सनन-सनन मेरे देश में। < | + | कहीं भोगी रस-विलीन है, |
| + | जीवन का यह चलन-चलन है मेरे देश में.. | ||
| + | पवन चले सनन-सनन मेरे देश में। | ||
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21:57, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
पवन चले सनन-सनन मेरे देश में,
पायल बजे छनन-छनन मेरे देश में।
शहनाइयाँ कहीं बज रहीं,
ड़ोलियाँ कहीं सज रहीं,
कंगना करें खनन-खनन मेरे देश में…
पवन चले सनन-सनन मेरे देश में।
बगिया कहीं महक रही,
कहीं तितलियाँ बहक रहीं,
भौरे फिरैं चमन-चमन मेरे देश में..
पवन चले सनन-सनन मेरे देश में।
कहीं बदलियाँ बरस रहीं,
कहीं सजनियाँ तरस रहीं,
आँसू गिरैं घनन-घनन मेरे देश में…
पवन चले सनन-सनन मेरे देश में।
हिमगिरि कहीं विराट है,
सागर कहीं विशाल है,
नदियाँ बहैं मगन-मगन मेरे देश में,
पवन चले सनन-सनन मेरे देश में।
कहीं योगी तप में लीन है,
कहीं भोगी रस-विलीन है,
जीवन का यह चलन-चलन है मेरे देश में..
पवन चले सनन-सनन मेरे देश में।

