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|रचनाकार=शिवराज भारतीय | |रचनाकार=शिवराज भारतीय | ||
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<poem> | <poem> | ||
| − | + | लाड़ प्यार का समंदर माँ | |
| − | लाड़ प्यार का समंदर | + | मोह ममता का मंदिर माँ |
| − | मोह ममता का मंदिर | + | |
अच्छी-अच्छी बात बताती | अच्छी-अच्छी बात बताती | ||
| − | लोरी गाए सुलाए | + | लोरी गाए सुलाए माँ |
धमकाती जब करें शरारत | धमकाती जब करें शरारत | ||
| − | रूठें तब पुचकारें | + | रूठें तब पुचकारें माँ |
| − | + | माँ कहने से मुंह भर आता | |
| − | हृदय नेह सरसाए | + | हृदय नेह सरसाए माँ |
मनुज भले बुढ़ा हो जाए | मनुज भले बुढ़ा हो जाए | ||
| − | उसे समझती बच्चा | + | उसे समझती बच्चा माँ |
सारे तीर्थ-धाम वहीं पर | सारे तीर्थ-धाम वहीं पर | ||
| − | जिस घर में मुस्काए | + | जिस घर में मुस्काए माँ |
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | + | माँ सम नही जगत में दूजा | |
| + | परमेश्वर भी पूजे माँ | ||
| − | </ | + | '''अनुवाद : राजेश्वरी पारीक ‘‘मीना’’ ''' |
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16:23, 26 जून 2017 के समय का अवतरण
लाड़ प्यार का समंदर माँ
मोह ममता का मंदिर माँ
अच्छी-अच्छी बात बताती
लोरी गाए सुलाए माँ
धमकाती जब करें शरारत
रूठें तब पुचकारें माँ
माँ कहने से मुंह भर आता
हृदय नेह सरसाए माँ
मनुज भले बुढ़ा हो जाए
उसे समझती बच्चा माँ
सारे तीर्थ-धाम वहीं पर
जिस घर में मुस्काए माँ
माँ सम नही जगत में दूजा
परमेश्वर भी पूजे माँ
अनुवाद : राजेश्वरी पारीक ‘‘मीना’’