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दिन था गर्मी का, बदली छाई थी
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थी उमस फ़ज़ा में भरी हुई
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लड़की वह छोटी मुझे बेहद भाई थी
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थी बस-स्टॉप पर खड़ी हुई
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मैं नहीं जानता क्या नाम है उसका
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करती है वह क्या काम
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याद मुझे बस, संदल का भभका
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और उस के चेहरे की मुस्कान
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2005 में रचित
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20:45, 22 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

दिन था गर्मी का, बदली छाई थी
थी उमस फ़ज़ा में भरी हुई
लड़की वह छोटी मुझे बेहद भाई थी
थी बस-स्टॉप पर खड़ी हुई

मैं नहीं जानता क्या नाम है उसका
करती है वह क्या काम
याद मुझे बस, संदल का भभका
और उस के चेहरे की मुस्कान

2005 में रचित