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| − | खारेपन का अहसास | + | <poem> |
| − | मुझे था पहले से | + | खारेपन का अहसास |
| − | पर विश्वासों का दोना | + | मुझे था पहले से |
| − | सहसा बिछल गया | + | पर विश्वासों का दोना |
| − | कल , | + | सहसा बिछल गया |
| − | मेरा एक समंदर | + | कल, |
| − | गहरा-गहरा सा | + | मेरा एक समंदर |
| − | मेरी आंखों के आगे उथला निकल गया। | + | गहरा-गहरा सा |
| + | मेरी आंखों के आगे उथला निकल गया। | ||
16:57, 4 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
खारेपन का अहसास
मुझे था पहले से
पर विश्वासों का दोना
सहसा बिछल गया
कल,
मेरा एक समंदर
गहरा-गहरा सा
मेरी आंखों के आगे उथला निकल गया।