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| + | शरद चांदनी बरसी | ||
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| + | तुम भी जी लो । | ||
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| − | + | घने कुहासे में | |
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| − | + | चेहरे पहचाने | |
| − | + | खम्भों पर बत्तियाँ | |
| − | + | खड़ी हैं सीठी | |
| − | + | ठिठक गये हैं मानों | |
| − | + | पल-छिन | |
| − | + | आने-जाने | |
| − | + | उठी ललक | |
| − | + | हिय उमगा | |
| − | + | अनकहनी अलसानी | |
| − | + | जगी लालसा मीठी, | |
| − | + | खड़े रहो ढिंग | |
| + | गहो हाथ | ||
| + | पाहुन मन-भाने, | ||
| + | ओ प्रिय रहो साथ | ||
| + | भर-भर कर अँजुरी पी लो | ||
| − | + | बरसी | |
| − | + | शरद चांदनी | |
| − | + | मेरा अन्त:स्पन्दन | |
| − | + | तुम भी क्षण-क्षण जी लो ! | |
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00:34, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
शरद चांदनी बरसी
अँजुरी भर कर पी लो
ऊँघ रहे हैं तारे
सिहरी सरसी
ओ प्रिय कुमुद ताकते
अनझिप क्षण में
तुम भी जी लो ।
सींच रही है ओस
हमारे गाने
घने कुहासे में
झिपते
चेहरे पहचाने
खम्भों पर बत्तियाँ
खड़ी हैं सीठी
ठिठक गये हैं मानों
पल-छिन
आने-जाने
उठी ललक
हिय उमगा
अनकहनी अलसानी
जगी लालसा मीठी,
खड़े रहो ढिंग
गहो हाथ
पाहुन मन-भाने,
ओ प्रिय रहो साथ
भर-भर कर अँजुरी पी लो
बरसी
शरद चांदनी
मेरा अन्त:स्पन्दन
तुम भी क्षण-क्षण जी लो !