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औरतों से कम बात करने वाले, परम्परा की दुहाई देने वाले
बेटियाँ जब एकाध भीगे सावन में लौटीं तो दुपहिया -तिजहरिया आँखें भी भीगती रहीं
बेटियों ने जब कहा कि नहीं उठा जाता इतना मुँहअन्धेरे,
नहीं भूखा रहा जाता सबके खाने तक, पीरियड आने पर नहीं होता इतना काम
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