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|रचनाकार=अवतार एनगिल | |रचनाकार=अवतार एनगिल | ||
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कल एक मायावी जादूगर | कल एक मायावी जादूगर | ||
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ठगा सा | ठगा सा | ||
रह गया मैं | रह गया मैं | ||
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लम्बी टोपी उतारकर | लम्बी टोपी उतारकर | ||
22:21, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
कल एक मायावी जादूगर
उलटा साफा सर परपर बाँधे
आकाश मार्ग से आया
मुँह बाए
चकित-भर्मित
ठगा सा
रह गया मैं
लम्बी टोपी उतारकर
जादुगर ने
उसपर डंडा घुमाया
उसमें से कबूतर उड़ाया
और एक सतरंगा डिब्बा
गिद्ध के सफेद पंख से लटाकार
हमारी बैठक तक पहुँचा
ठीक से सजा दिया
देखते –देखते
करोड़ों बच्चे
नींद, किताब और भूख भूलकर
मायावी दर्पण के गिर्द
घूमने लगे......
नाचने लगे ।
देखते-देखते
लाखों सैनिक
मुक्ति गीत गाते हुए
कैद हो गए
देखते-देखते
गुणी जन
जादुगर के सामने
कवायद करने लगे
कहीं कोई सायरन बहीं बजा
किसी ने हथियार नहीं उठाया
फिर भी वह आया
और हम दास बन गये-
एक बार फिर
(मुक्त होने तक....)