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|रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी | |रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी | ||
| + | |संग्रह=गान्ध्ययन / सोहनलाल द्विवेदी; सेवाग्राम / सोहनलाल द्विवेदी | ||
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| − | वंदना के इन स्वरों | + | वंदना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो। |
| − | एक स्वर मेरा मिला लो। | + | ::राग में जब मत्त झूलो |
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| − | जब हृदय का तार बोले, | + | |
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| − | एक शिर मेरा मिला लो। | + | |
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21:22, 14 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
वंदना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो।
राग में जब मत्त झूलो
तो कभी माँ को न भूलो,
अर्चना के रत्नकण में एक कण मेरा मिला लो।
जब हृदय का तार बोले,
शृंखला के बंद खोले;
हों जहाँ बलि शीश अगणित, एक शिर मेरा मिला लो।