(New page: रचनाकार: त्रिलोचन शास्त्री नदी ने कहा था : मुझे बॉंधो मनुष्य ने सुन...) |
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मनुष्य दुह रहा है | मनुष्य दुह रहा है | ||
अब वह कामधेनु है। | अब वह कामधेनु है। | ||
13:07, 18 जनवरी 2008 के समय का अवतरण
नदी ने कहा था : मुझे बाँधो
मनुष्य ने सुना और
तैरकर धारा को पार किया।
नदी ने कहा था : मुझे बाँधो
मनुष्य सुना और
सपरिवार धारा को
नाव से पार किया।
नदी ने कहा था : मुझे बाँधो
मनुष्य ने सुना और
आखिर उसे बाँध लिया
बाँध कर नदी को
मनुष्य दुह रहा है
अब वह कामधेनु है।