भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अटारी / एज़रा पाउंड / सुरेश सलिल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आओ, हम तरस खाएँ उन पर, बेहतर हैं हमसे जो ।
आओ, दोस्तो ! और याद रहे
           कि दौलतमन्दों के पास बटलर हैं ; दोस्त नहीं
           और हमारे पास दोस्त हैं, बटलर नहीं ।
आओ, हम शादीशुदा और ग़ैर शादीशुदा लोगों पर तरस खाएँ ।

भोर अपने नन्हें - नन्हें पैरों के साथ दाख़िल हो रही है
किसी सुनहरी पावलवा की भाँति,
और मैं अपनी मुँहमाँगी मुराद के अनक़रीब हूँ ।
ज़िन्दगी की अण्टी में है भी नहीं
साथ - साथ जागने के
         इस तर - ओ - ताज़ा वक़्त से बेहतर कुछ और ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल

शब्द - अर्थ :
पावलवा — आन्ना पावलवा ( ) प्रसिद्ध रूसी बैले - नर्तकी।
—————
लीजिए, अब इसी कविता का मूल पाठ पढ़िए
              Ezra Pound
               The Garret
 
COME let us pity those who are better off than we are.
Come, my friend, and remember
                that the rich have butlers and no friends,
And we have friends and no butlers.
Come let us pity the married and the unmarried.
 
Dawn enters with little feet
                like a gilded Pavlova,
And I am near my desire.
Nor has life in it aught better
Than this hour of clear coolness,
                the hour of waking together.