रे कवि, तूने गीत सुनाए —
जिनके स्वर-स्वर में जीवन था,
जिनके स्वर-स्वर में यौवन था,
जिनके स्वर-स्वर में श्वासों में
कुछ सिहरन थी, कुछ कम्पन था,
जिनके स्वर-स्वर बादल बनकर
नयनों के सावन में छाए !
रे कवि, तूने गीत सुनाए !!
रे कवि, तूने गीत सुनाए —
जिनके स्वर-स्वर में जीवन था,
जिनके स्वर-स्वर में यौवन था,
जिनके स्वर-स्वर में श्वासों में
कुछ सिहरन थी, कुछ कम्पन था,
जिनके स्वर-स्वर बादल बनकर
नयनों के सावन में छाए !
रे कवि, तूने गीत सुनाए !!