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दुर्गति / अजित कुमार

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जनाब !
जन्म से लेकर अब तक
आप
रह गए न वहीं के वहीं,
अपने खूँटे में गिरफ़्तार !

ज़रा सुनिए-
मिनट भर में दो इंच होती है
एक घोंघे की रफ़्तार ।