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सोनी गढ़ को खड़को / राजस्थानी
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|रचनाकार=अज्ञात
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{{
KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=राजस्थानी
KKCatRajasthaniRachna
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<poem>
सोनी गढ़ को खड़को म्हे सुन्यो सोना घड़े रे सुनार
वातो हार की छोलना उबरी बाई
सोधरा बाई हो तिलक लिलाड़ म्हारे गोर कसुम्बो रुदियो
</poem>
Lalit Kumar
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