क्षमा करो बापू ! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंजिल भूले, यात्रा आधी |
जयप्रकाश जी ! रखो भरोसा,
टुटे सपनों को जोड़ेंगे |
चिताभस्म की चिंगारी से,
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे |
क्षमा करो बापू ! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंजिल भूले, यात्रा आधी |
जयप्रकाश जी ! रखो भरोसा,
टुटे सपनों को जोड़ेंगे |
चिताभस्म की चिंगारी से,
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे |