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बिंदिया चूड़ी कंगन आरो पायल छै / अमरेन्द्र
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बिंदिया चूड़ी कंगन आरो पायल छै
भुखलोॅ पेट सुहैतै केना मुश्किल छै
नै बोलोॅ करखी लगलोॅ छै गालोॅ पर
समय यही छै बोलोॅ आँख में काजल छै
असकल्लोॅ छी, रात अन्हरिया बस्ती दूरो
के बतलैतै कहाँ तलक ई जंगल छै
ककरौ कुछ नै मतलब तोरोॅ हालत सें
पूछौ कोय तेॅ कहोॅ कुशल छै मंगल छै
नै दिखलाबोॅ बाँही पर फुसरी केॅ तों
ककरो सौंसे देह पेॅ फोका ढलढल छै
जन्नें कोट कचहरी हुन्नै ‘तिलका’ के
हाथोॅ में छै धनुष भयानक, बिज्जल छै
सट्टी जा सत्ता सें जैमें लाभ दिखौं
अमरेन्दर केॅ छोड़ोॅ ऊ तेॅ पागल छै
-26.3.92

