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हँसी मेंढ़की इस कमाल पर! / कन्हैयालाल मत्त

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छोटी नटखट मुन्नीरानी,
गई झील पर भरने पानी।
मिली वहाँ मेंढ़की सयानी,
जो थी उस पानी की रानी।

लगी मेंढ़की गीत सुनाने,
गूँजे 'टर्र-टर्र' के गाने।
छोड़ डोलची, भागी मुन्नी,
उलझ गई झाड़ी में चुन्नी।

झटका खाकर मुन्नी लुढ़की,
लगा दिखाने बंदर घुड़की।
मुन्नी के मन में कुछ आया,
ठुमक-ठुमक कर नाच दिखाया।

बंदर की गुम हुई बत्तीसी,
जागी उसकी नकल-नवीसी।
लगा मटकने ताल-ताल पर,
हँसी मेंढ़की इस कमाल पर!