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सुनेगा बात अपनी चल कोई तो / राज़िक़ अंसारी

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सुनेगा अपनी बातें चल कोई तो
मिलेगा दश्त में पागल कोई तो

सड़क पर कर रही है धूप तांडव
बरसना चाहिए बादल कोई तो

मिलेगी हौसलों की दाद हमको
सफ़र नामा पढ़ेगा कल कोई तो

कोई तो हाल पुछेगा हमारा
करेगा ज़ख्म का टोटल कोई तो

सभी के हाथ में कंकर है लेकिन
मचाए झील में हलचल कोई तो

मेरी दीवानगी पर क़ैस बोला
हमारे बाद है पागल कोई तो