Last modified on 24 नवम्बर 2025, at 14:35

ब्लू लाइन / देवी प्रसाद मिश्र

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:35, 24 नवम्बर 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवी प्रसाद मिश्र |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ब्लू लाइन बसें चली जाएँगी तो
सोनू मोनू और चंपक दी गड्डी नहीं रहेगी

छोरा जाट का
लिखा नहीं दिखेगा

महिलाएँ का मिटा म
खोजे नहीं मिलेगा

ब्लू लाइन नहीं रहेगी तो बस में सबसे पीछे रखा पुराना
टायर नहीं रहेगा पटरा नहीं रहेगा और

हुक से निकला हत्था और वो समलिंगी
विपरीतलिंगी उभयलिंगी बलात्कारी गुत्थमगुत्था

शीला दीक्षित के कुशासन का आख़िरी
निशान नहीं रहेगा

तेरी बैंड़ की आगे निकलता है कि दूँ
जैसी हूँ

नहीं बचेगी
बदमंज़र कंडक्टर नहीं रहेगा

और न जै माता दी कहता उसका दोस्त
और वो ड्राइवर जो यह कहकर स्टीयरिंग सँभालता था कि

आज मरेगा कोई बैंड़चो और वो मर भी जाता था
नहीं सुनाई देगा

अबे भूतनी के उतर शकरपुर
कि रखूँ कान पर

दिल्ली की ख़ताबख़्श
जनता नहीं दिखेगी

और एक आदमी की
कुचल दी गई बग़ावत का नीला निशान

अबे ओ बिहारी का नस्लवाद नहीं बचेगा
चलता फिरता स्लम नहीं रहेगा

बम वो कहाँ रखा जाएगा
लश्कर ए तैयबा का और मानव बम

जो पड़ोसी कहते हैं मैं हूँ