आल्बा (दो) / एज़रा पाउंड / सुरेश सलिल
आल्बा
गायक पक्षी जब पूरे दिन, देर रात तक
टेरा करता निज संगिनी को, गाता अचानक
मेरी प्रिया और मैं निर्मित करते युगलक
लताकुंज में
पुष्पपुंज में
गढ़ के प्रहरी का स्वर जब तक लगे गूँजने :
उठो , धूर्तो, जागो,
पौ फट रही
रात हट रही
अवनि रट रही
कि निद्रा त्यागो !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल
शब्द - अर्थ :
यह कविता एज़रा पाउण्ड की लम्बी कविता Langue d'Oc (परिभाषाएँ) का प्रारम्भिक अंश है। फ़्रांस की सबसे लम्बी नदी ’लुआर’ के आसपास के दक्षिणी फ़्रांसीसी इलाके को लुआर का इलाका कहकर पुकारा जाता है। लुआर के इलाके की मध्ययुगीन भाषा के एक शब्द Langue d'Oc को लेकर एज़रा पाउण्ड ने इस लम्बी कविता का शीर्षक रखा था।
लीजिए, अब इसी कविता का मूल पाठ पढ़िए
Ezra Pound
Langue d'Oc
Alba
When the nightingale to his mate
Sings day-long and night late
My love and I keep state
In bower,
In flower,
Till the watchman on the tower
Cry:
"Up! Thou rascal, Rise,
I see the white
Light
And the night
Flies!"

