Last modified on 18 मई 2009, at 20:01

इक्कीसवीं सदी की शुरुआत / विजय गौड़

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:01, 18 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय गौड़ |संग्रह=सबसे ठीक नदी का रास्ता / विजय ग...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

किसी का आना
और किसी का चले जाना
किसी का पैदा होना
और किसी का मर जाना
किसी का डूबना
और किसी का तैरते रहना
किसी का सो जाना
और किसी का जागते रहना,
उत्साहित करते हैं उन्हें
और चाहते हैं वे,
उन्हीं की तरह उत्साहित रहे
परेशानियों में दम तोड़ती दुनिया भी
 
नशे से भरा उत्साह ही पैदा करेगा
नये खरीद्दार
पैदा होगा नया बाज़ार
और उनके अटे पड़े मालों पर
होने लगेगी ख़ून-पसीने की बौछार
 
उत्साह के नशे में
एक बेवज़ह, फ़ालतू
बहस शुरु होगी
 
इसी तरह चलेगा व्यापार
 
ग्लोबलाईजड पूंजी का
संकट होगा दूर