Last modified on 8 सितम्बर 2006, at 20:09

एक यात्रा के दौरान / तेरह / कुंवर नारायण

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:09, 8 सितम्बर 2006 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कवि: कुंवर नारायण

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

धीमी पड़ती चाल ।

अगले ठहराव पर

उतर जाना है मुझे ।

एक सिहरन-सी दौड़ जाती नसों में ।


पहली बार वहाँ जा रहा हूँ ।

हो सकता है कोई लेने आये, या कोई नहीं

केवल एक सपाट प्लटफॉर्म मिले,

बर्फीली ठंढक, अँधेरे और अनिश्चय का


घना कोहरा : इतनी रात गये

एक बिल्कुल नयी जगह से नयी तरह

संबंध बनाता हुआ एक अजनबी ।


एक ख़ामोश-सी तैयारी है मेरे आसपास

जैसे यह मेरा घर था

और अब मैं उसे छोड़कर कहीं और जा रहा हूँ ।