Last modified on 28 मई 2010, at 23:24

यह मन बड़ा हठी है नाथ / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:24, 28 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=तिलक करें रघुवीर / गुलाब …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


यह मन बड़ा हठी है नाथ
पल भर भी न ठहरने देता मुझे आपके साथ

जब चरणों में ध्यान लगाता
खींच मुझे यह जग में लाता
जुड़ता नहीं आपसे नाता
माला भी लूँ गाँथ
 
मुँह आगे की थाली सरका
बढ़ता देख परोसा पर का
चिंता इसको, दुनिया भर का
कुल धन आये हाथ
 
अपने लिए साधना सारी
आप देवता, आप पुजारी
सिर पर हाथ नाथ का भारी
फिर भी फिरे अनाथ

यह मन बड़ा हठी है नाथ
पल भर भी न ठहरने देता मुझे आपके साथ