Last modified on 31 मई 2010, at 12:58

मुझे असत से / सुमित्रानंदन पंत

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:58, 31 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= स्वर्णधूलि / सुमित्र…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुझे असत् से ले आओ हे सत्य ओर
मुझे तमस से उठा, दिखाओ ज्योति छोर,
मुझे मृत्यु से बचा, बनाओ अमृत भोर!
बार बार आकर अंतर में हे चिर परिचित,
दक्षिण मुख से, रुद्र, करो मेरी रक्षा नित!