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"दीप क्या है? / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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दीप क्या है , सिर्फ़ मिट्टी से बना है
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यह उजालों की सही आराधना है।
 
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एक चादर  तान ली काली गागन ने
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फिर भी सीना दीप का निडर तना है ।
 
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अँधेरों के हौसले भी देखना है।
 
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  हर आँख में आलोक ही आँजना है।
 
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'''-0-[8-09-1985: मान्यवर दैनिक जौनपुर 1-1-86,उजाला जुलाई 86]'''
 
'''-0-[8-09-1985: मान्यवर दैनिक जौनपुर 1-1-86,उजाला जुलाई 86]'''
 
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12:43, 26 सितम्बर 2025 के समय का अवतरण

दीप क्या है, सिर्फ़ मिट्टी से बना है
यह उजालों की सही आराधना है।

एक चादर तान ली काली गगन ने
फिर भी सीना दीप का निडर तना है ।

आँसुओं की इस धरा पर क्या कमी
पर अधर से कब कहा-हँसना मना है।

यह मत कहो, टूटा न तम का दर्प है
टिमटिमाती लौ का संघर्ष ठना है।

ज्योति का यह रथ न रोके से रुकेगा
अँधेरों के हौसले भी देखना है।

आलोक की धारा, धरा पर बह उठी
 हर आँख में आलोक ही आँजना है।

-0-[8-09-1985: मान्यवर दैनिक जौनपुर 1-1-86,उजाला जुलाई 86]