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"ये हासिल है तो क्या हासिल बयाँ से / मोमिन" के अवतरणों में अंतर
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+ | *बेनियाज़ी = लापरवाही | ||
+ | *नाज़-ए-बुताँ = हसीनों के नख़रे |
02:28, 11 नवम्बर 2008 का अवतरण
ये हासिल है तो क्या हासिल बयाँ सेकहूँ कुछ और कुछ निकले ज़ुबाँ से
बुरा है इश्क़ का अंजाम यारब
बचना फ़ितना-ए-आखिर ज़माँ से
मेरा बचना बुरा है आप ने क्यों
अयादत की लब-ए-मोजज़ बयाँ से
- लब-ए-मोजज़ = बीमार का हाल जानना
वो आए हैं पशेमाँ लाश पर अब
तुझे ए ज़िन्दगी लाऊँ कहाँ से
न बोलूँगा न बोलूँगा कि मैं हूँ
ज़्यादा बद गुमाँ उस बदगुमाँ से
न बिजली जलवा फ़रमा है न सय्याद
निकल कर क्या करें हम आशयाँ से
बुरा अंजाम है आग़ाज़-ए-बद का
जफ़ा की हो गई खू इमतिहाँ से
- आग़ाज़-ए-बद = बुरा
- खू = आदत
खुदा की बेनियाज़ी हाय 'मोमिन'
हम ईमाँ लाए थे नाज़-ए-बुताँ से
- बेनियाज़ी = लापरवाही
- नाज़-ए-बुताँ = हसीनों के नख़रे