भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कभी अहसास होता है / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग']]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग']]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'  
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
 
+
 
+
 
कभी अहसास होता है मुकम्मल आदमी हूँ मैं
 
कभी अहसास होता है मुकम्मल आदमी हूँ मैं
  

21:54, 24 जून 2009 के समय का अवतरण

कभी अहसास होता है मुकम्मल आदमी हूँ मैं

कभी लगता है जैसे आदमी की इक डमी हूँ मैं


कभी हूँ हर खुशी की राह में दीवार काँटों की

कभी हर दर्द के मारे की आँखों की नमी हूँ मैं


धधकता हूँ कभी ज्वालामुखी के गर्म लावे-सा

कभी पूनम की मादक चाँदनी-सा रेशमी हूँ मैं


कभी मेरे बिना सूना रहा, हर जश्न, हर महफिल

कभी त्यौहार पर भी एक सूरत मातमी हूँ मैं


कभी मौजूदगी मेरी चमन में फालतू लगती

कभी फूलों की मुस्कानों की खातिर लाजिमी हूँ मैं