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"फूल क्यों मुरझा रहा है / साग़र पालमपुरी" के अवतरणों में अंतर
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08:23, 7 जून 2010 का अवतरण
आ गया मधुमास लेकिन
फूल क्यों मुरझा रहा है
शम्अ तो जलती है उसपर
आज परवाने नहीं हैं
प्यार में जो मर मिटें वो
आज दीवाने नहीं हैं
मिलन की वेला है फिर भी
याद कोई आ रहा है
आ गया मधुमास लेकिन
फूल क्यों मुरझा रहा है
बरसते मेघों के नीचे
जल रहा है घर किसी का
है कोई पुलकित कहीं तो
बिलखता कोई बेचारा
तड़पता कोई ,रसीले गीत
कोई गा रहा है
दूर पेड़ों पर पपीहा
पूछता है ‘पी कहाँ है?’
भटकते राही बेचारे पूछते
मंज़िल कहाँ है
हर नया तूफ़ान उनको
राह नई दिखला रहा है
आ गया मधुमास लेकिन
फूल क्यों मुरझा रहा है