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साहित्य शिल्पी www.sahityashilpi.com के बस्तर के 'वरिष्ठतम साहित्यकार' की रचनाओं को अंतरजाल पर प्रस्तुत करने के प्रयास के अंतर्गत संग्रहित। </poem> | साहित्य शिल्पी www.sahityashilpi.com के बस्तर के 'वरिष्ठतम साहित्यकार' की रचनाओं को अंतरजाल पर प्रस्तुत करने के प्रयास के अंतर्गत संग्रहित। </poem> |
09:17, 29 नवम्बर 2010 का अवतरण
जिसके सिर पर धूप खडी है
दुनियाँ उसकी बहुत बडी है।
ऊपर नीलाकाश परिन्दे,
नीचे धरती बहुत पडी है।
यहाँ कहकहों की जमात में,
व्यथा कथा उखडी उखडी है।
जाले यहाँ कलाकृतियाँ हैं,
प्रतिभा यहाँ सिर्फ मकडी है।
यहाँ सत्य के पक्षधरों की,
सच्चाई पर नज़र कडी है।
जिसने सोचा गहराई को,
उसके मस्तक कील गडी है।
और कहाँ तक प्रगति करेगी,
बस्ती यहाँ कहाँ पिछडी है?
साहित्य शिल्पी www.sahityashilpi.com के बस्तर के 'वरिष्ठतम साहित्यकार' की रचनाओं को अंतरजाल पर प्रस्तुत करने के प्रयास के अंतर्गत संग्रहित।