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गुब्बारा लाए बज्जी से / रमेश तैलंग

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गुब्बारा लाए बज्जी से, फुट्ट-फुट्ट हो गया फटाक

ऊं..ऊं..ऊं.. मम्मी, अब मैं क्या करूँ बताओं ना,
देर करो न, चलो, दूसरा नया दिलाओं ना,
कब तक बैठा रहूँ फुलाकर मैं गुस्से में नाक

किसे पता था वह टकरा जाएगा पंखे से
फुट्ट-फुट्ट हो जाएगा पल भर में झटके से
देखा तो रह गया अचानक मैं ओंचक्क-अवाक

एक बार बस एक बार फिर मन की कर दो ना,
पांच रुपये का नोट हथेली पर बस धर दो ना,
पांच रुपये में हो जाएगी अपनी धूम-धमाक