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घर बस्ती जंगल पानी में / श्याम कश्यप बेचैन

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घर बस्ती जंगल पानी में
सब के सब जलथल पानी में

डूबा हुआ महल पानी में
झलके साफ अतल पानी में

शायद है दलदल पानी में
खिलने लगे कमल पानी में

खड़ी रहेगी सिर तक डूबी
कब तक खड़ी फसल पानी में

हवा लहर को छेड़ रही है
लहराए आँचल पानी में

हाथी, घोड़ा, गुफ़ा, पहाड़ी
बना रहे बादल पानी में

अपने दुख की फेंक कंकरी
मचा न तू हलचल पानी में