भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिन की रात की तानाशाही / रोशन लाल 'रौशन'

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:36, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रोशन लाल 'रौशन' |संग्रह=समय संवाद करना चाहता है / …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिन की रात की तानाशाही
आदमजात की तानाशाही

बे औकात की तानाशाही
ये हालात की तानाशाही

दो रोटी क्या हमने चाही
दी ख़ैरात की तानाशाही

नंगी गर्मी अकड़ा जाड़ा
अब बरसात की तानाशाही

वो निर्यात की मज़बूरी थी
ये आयात की तानाशाही

मज़हब-मज़हब जंग पतन की
जात-पात की तानाशाही

वर्ग-भेद की आड़ में 'रौशन'
बात-बात की तानाशाही