भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शेर-12 / असर लखनवी

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:19, 21 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असर लखनवी }} Category: शेर <poem> (1) पुरकैफ<sup>1...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(1)
पुरकैफ1 किस तरह है सितमगर2 की गुफ्तगू3,
सागर4 छलक रहा है मये-खुशगवार5 का।
  
(2)
नाम अलबता सुनते आये हैं,
हम नहीं जानते खुशी क्या है?

(3)
पजमुर्दा6 हो के फूल गिरा शाख से तो क्या,
वह मौत है हसीन, आए जो शबाब7 में।

(4)
पामाल8 होते-होते भी खुशबू लुटा गया,
सीखा नहीं बशर9 ने फूलों का चलन अभी।

(5)
नादानियों से अपनी आफत में फंस गया हूँ,
बेदादगर10 को मैंने बेदादगर न जाना।

1.पुरकैफ - नशे मे चूर, मस्त, मदभरी,नशीली 2.सितमगर - सितम ढाने वाला,जालिम 3.गुफ्तगू - वार्तालाप, बात-चीत 4.सागर - शराब पीने का गिलास, पान-पात्र 5.खुशगवार - जो मन को अच्छा लगे, मनोवांछित, रूचिकर। 6. पजमुर्दा - खिन्न, मलिन, उदास (मुर्झाकर) 7 शबाब - जवानी, युवावस्था. 8.पामाल - पैरों तले रौंदा जाना 9. बशर - मनुष्य,मानव, आदमी 10.बेदादगर - अत्याचार करने वाला