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आई संग आलिन के ननद पठाई नीठि / पद्माकर

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आई संग आलिन के ननद पठाई नीठि,
             सोहत सोहाई सीस ईड़री सुपट की.
कहै पद्माकर गंभीर जमुना के तीर,
             लागी घट भरन नवेली नेह अटकी.
ताहि समै मोहन जो बाँसुरी बजाई तामें,
             मधुर मलार गाईऔर बंसीवट की.
तन लगे लटकी,रही न सुधि घूंघट की,
             घर की,न घाट की,न बाट की,न घट की.