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पहले आहट का साया महसूस किया था साँसों ने / 'महताब' हैदर नक़वी

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पहले आहट का साया महसूस किया था साँसों ने
फिर तेरे चेहरे को महसूस किया होगा मेरी आँखों ने
 
लोगों ने जब पहले-पहल इस बस्ती को आबद किया
सबसे पहले शोर मचाया था शायद सन्नाटों ने
 
किसके हिस्से में आयेंगे तश्नालबी के ये लम्हे
रुख़ दर्या के सम्त किया है देखो चन्द सवारों ने
 
मैं इक हर्फ़-ए-ग़लत था अपनी सौत-ओ-सौदा1 से बेबहरा2
मुझको होने का एहसास दिलाया तेरी बातों ने
 
तेरी पेशानी पर लिक्खे कितने लफ़्ज़ मोहब्बत के
तेरे चेहरे पर महताब बनाये कितने बोसों ने

1- आवाज़ 2-अभागा