भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मोहब्बत / अनुलता राज नायर

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:42, 5 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुलता राज नायर |अनुवादक= |संग्रह= ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1.

स्नेह की मृगतृष्णा
मिटती नहीं...
रिश्तों का मायाजाल
कभी सुलझता नहीं.
तो मत रखो कोई रिश्ता मुझसे
मत बुलाओ मुझे किसी नाम से...
प्रेम का होना ही काफी नहीं है क्या ??

2.

सबसे है राब्ता
मगर तुम कहाँ हो..
मेरी भटकती हुई निगाह को
कोई ठौर तो मिले...

3.

वहम
शंकाएं
तर्क-वितर्क
गलतफहमियाँ
सहमे एहसास...
लगता है मोहब्बत को रिश्ते का नाम मिल गया.

4.

ऐसा नहीं कि
जन्म नहीं लेती
इच्छाएँ अब मन में
बस उन्हें मार डालना सीख लिया है..
शुक्रिया तुम्हारा.

5.

न मोहब्बत
न नफरत
न सुकून
न दर्द...
कमबख्त कोई एहसास तो हो
एक नज़्म के लिखे जाने के लिए..

6.

सर्दियाँ शुरू हुईं
धूप का एक टुकड़ा
उसने मेरे क़दमों पर
रख दिया...
आसान हो गयी जिंदगी.

7.

न पलकें भीगीं
न लब थरथराये
न तुम कुछ बोले
न हमने सुना कुछ अनकहा सा...
मोहब्बत करने वाले क्या यूँ जुदा होते हैं?

8.

तेरा इश्क
साया था पीपल का
बस ज़रा से झोंके से
फडफडा गए पत्ते सारे...

9.

जब से दिल
मोहब्बत से खाली हुआ
सुकून ने घर कर लिया...