भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पद्म धर्यो जन ताप निवारण / परमानंददास

Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:01, 16 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परमानंददास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पद्म धर्यो जन ताप निवारण।
चक्र सुदर्शन धर्यो कमल कर भक्तन की रक्षा के कारण॥१॥
शंख धर्यो रिपु उदर विदारन, गदा धरि दुष्टन संहारन।
चारों भुजा चार आयुध धर नारायण भुव भार उतारन॥२॥
दीनानाथ दयाल जगत गुरू आरती हरन भक्त चिंतामन।
परमानंद दास को ठाकुर यह ओसर ओसर छांडो जिन॥३॥